शनिवार, 6 जून 2009

बाल दीक्षा को जूवेनाईल जस्टिस नहीं रोक सकता

मुंबई: मुंबई शहर के जैन आज एक मब्य आयोजन करने जा रहें है जहां बाल दीक्षा एवं कानून विषय पर विस्तुत बहस होगी। समारोह में विचार विमर्श के तहत यह फै सला दिया जाएंगा । कि क्या कानून बाल दीक्षा पर अपनी कानूनी आदमी कर सकत है इस आयोजन में सभी जैन धर्मावलंबी शामिल होगे । जैनों के सभी समुदाय के लेाग यहां विचार कर यह निरीध लोगों कि कानूनी अड़चन से पिछले दिनों जैनों के सभी समुदाय मंडल महिला एवं बाल विकास दिमान दिल्ली में जाकर मुलाकत किया जिसके जैन समुदाय को एक नोटिस जारी किया था कि बाल दीक्षा को जूवेनाईल जस्टिस २०० के अन्र्तगत आता है।

जैन धर्मावलंबी यह फरमान जारी करने वाले है कि जूर्वनाइक जस्टिक बाल अधिकार को रोक नहीं लगा सकता । मंत्रालय जल्द कानून पहनाने बाल हैं।भूलेश्वर के मंदिर में आज-मोतीशाह लाल बाल जैन मंदिर प्रकाश में हजारों जैन दूस्ट इस समारोह में शामिल होगे। इस समारोह में यह निर्देश कध्रा है। कि धार्मिक मामले एवं रीतियों के बारे में धार्मिक मामलों के अन्र्तगत धारा २५ एवं २६ के अनुसार ही निर्णय लिया जाता । महिला एवं विकास ने चाइल्ड बेलफेयर कनिरि (सी उष्लू सी ) बनाकर मुंबई में पिछले दिनों हुए बाल दीक्षा के केस को जूवेनाइल जस्टिस के तहत निपटारा किया था। अब जैन समुदाय अपने समारोह में यह विचार विमर्थ के बाद निकाली लोग कि ऊच्च न्यायलय की यण में जाएं अथवा नहीं । सूत्री से मिली खबर के अनुसार जैन समुदाय बांबे डाई कोर्ट में जाने को तैयार है जहां मध्य प्रदेश के आज वर्षीय बालक प्रियल का केस चल रहा है सात ही कि प्रियल ने आठ साल की उम्र में २००९ में बाल दीक्षा लिया था।